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May 1, 2015 | http://www.samaylive.com/regional-news-in-hindi/chhattisgarh-news-in-hindi/313118/stop-work-on-kanhar-dam-chhattisgarh-govt-tells-up.html

छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के कन्हर नदी पर बन रहे बांध को लेकर दोनों राज्य आमने सामने है.

 
कन्हर नदी पर बन रहे बांध को लेकर छत्तीसगढ़-उत्तर प्रदेश आमने-सामने
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह (फाइल फोटो)
छत्तीसगढ़ सरकार ने आरोप लगाया है कि राज्य के हितों की अनदेखी कर उत्तर प्रदेश ने बांध निर्माण शुरू कर दिया है. 
 
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा है कि पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश के अमवार गांव में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कन्हर नदी में निर्माणाधीन सिंचाई बांध के मामले में छत्तीसगढ़ सरकार किसी भी हालत में अपने राज्य के किसानों और ग्रामीणों के हितों की अनदेखी नहीं होने देगी. छत्तीसगढ़ के प्रभावित होने वाले परिवारों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा. 
 
राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव विवेक ढांड ने इस मामले में छत्तीसगढ़ शासन की ओर से उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव आलोक रंजन को चिट्ठी लिखी है.       
 
ढांड ने अपने पत्र में उनसे आग्रह किया है कि इस परियोजना में जब तक सहमति की शर्तों के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य के डूब क्षेत्र के विस्तृत सर्वेक्षण के बाद मुआवजा आदि के मामलों का निराकरण नहीं हो जाता, तब तक कन्हर बांध का निर्माण स्थगित रखा जाए. 
 
छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव ने पत्र में कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार के सर्वेक्षण के अनुसार इस परियोजना में छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के चार गांवों की भूमि प्रभावित हो रही है. उत्तर प्रदेश सरकार ने डूब क्षेत्र के मुआवजा निर्धारण के लिए कलेक्टर सरगुजा को प्रस्ताव दिया था. इस प्रस्ताव के अनुसार बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के चार गांव झारा, कुशफर, सेमरूवा और त्रिशूली की भूमि शामिल है. इसमें आरक्षित वन क्षेत्र भी शामिल है. 
 
ढांड ने पत्र में लिखा है कि सर्वेक्षण के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पुनरीक्षित प्रस्ताव कलेक्टर सरगुजा (छत्तीसगढ़) को अब तक नहीं भेजा गया है.
 
ढांड ने पत्र में लिखा है कि इस निर्माणाधीन बांध के संबंध में तत्कालीन मध्य प्रदेश सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ की 263.4 हेक्टेयर भूमि के डुब के लिए 27 मार्च 1999 के पत्र में सशर्त सहमति दी गई थी. शर्तों का पालन करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सात अप्रैल 1999 को दोनों राज्यों की सचिव स्तरीय बैठक में सहमति व्यक्त की गई थी. 
 
इसके बाद केन्द्रीय जल आयोग के परामर्श पर बांध के डुब में आने वाली छत्तीसगढ़ राज्य की 41.60 हेक्टेयर जमीन को डूब से बचाने के लिए सुरक्षात्मक रिंग बांध बनाने के उत्तर प्रदेश सरकार के सुझाव को मान्य कर छत्तीसगढ़ शासन के जल संसाधन विभाग द्वारा नौ जुलाई 2010 को सशर्त सहमति दी गई थी. 
 
इसमें निर्धारित शर्तों का पालन नहीं होने पर अनापत्ति प्रमाण पत्र स्वमेव निरस्त होने का उल्लेख है. 
 
ढांड ने अपने पत्र में यह भी जानकारी दी है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 28 जनवरी 2015 को सर्वेक्षण के लिए 40 लाख रूपए दिए गए हैं. इस राशि से सर्वेक्षण प्रारंभ कर दिया गया है.
 
सर्वेक्षण के बाद प्राप्त होने वाले विवरण के आधार पर भू-अर्जन प्रकरण, विस्थापन प्रकरण और केन्द्रीय वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत वन भूमि प्रकरण निराकरण के लिए प्रस्तुत किए जाएंगे. 
 
छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में लिखा है कि इन तथ्यों से यह स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ राज्य ने राष्ट्रीय सोच अपनाते हुए उत्तर प्रदेश राज्य के साथ लगातार सहयोग किया है, लेकिन उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा असहयोगात्मक रूख अपनाकर पूर्व निर्धारित शर्तों का पालन नहीं किया जा रहा है और छत्तीसगढ़ राज्य के हितों की अनदेखी कर बांध का निर्माण शुरू कर दिया गया है.    
 
इससे छत्तीसगढ़ के संबंधित गांवों में अनिश्चितता की स्थिति और भारी असंतोष और आक्रोश व्याप्त है. 
 
पत्र में ढांड ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव से आग्रह किया है कि इस मामले में जब तक सहमति की शर्तों के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य के डूब क्षेत्र के विस्तृत सर्वेक्षण के बाद मुआवजा इत्यादि के मामलों का निराकरण नहीं हो जाता है, तब तक कन्हर बांध का निर्माण स्थगित रखा जाए.  

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