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17th July, 2015 | http://www.jagran.com/uttar-pradesh/sonbhadra-12610947.html

दुद्धी (सोनभद्र): प्रकृति का खेल भी अजब-गजब है। इसका ज्वलंत उदाहरण कनहर व लऊवा नदी है जो तहसील मुख्यालय के दोनों छोर से अनादिकाल से अविरल बहती रही है। कनहर इनदिनों जहां पूरे उफान पर है, वहीं लऊवा नदी में अभी भी धूल उड़ रही है। पानी का नामोनिशान नदी में दिखने को नहीं मिल रहा है। प्रकृति के इस चमत्कार से दुद्धी ही नहीं रीवां-रांची राजमार्ग से गुजरने वाला हर राहगीर भी हैरान व परेशान है।

प्राचीन तहसील मुख्यालय के चारों दिशाओं में नदियों का जंजाल फैला हुआ है। हाथीनाला की ओर से आने वाले राहगीरों का सबसे पहले वास्ता लऊवा नदी से पड़ता है, जबकि बिहार व झारखंड की ओर से आने वालों का वास्ता कनहर नदी से पड़ता है। इन दिनों कनहर नदी अपने पूरे उफान पर चल रही है,जबकि दूसरे छोर पर लऊवा नदी में अभी धूल उड़ रही है। प्रकृति के इस नजारे के पीछे पुरनियों का कहना हैं कि नदियों के स्वरुप से हुई छेड़छाड़ का यह नतीजा हैं कि बारहों मास निर्मल जल देने वाली लऊवा नदी विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है। लोगों का मानना है कि गत एक दशक से देखा जा रहा है कि बारह माह में बमुश्किल चार-पांच माह ही नदी में बहता पानी देखने को मिल रहा है।

इसकी तह में जाने पर ज्ञात हुआ कि लऊवा नदी पर दर्जनभर स्थानों पर चेकडैम व बंधिया बांधकर उसके मूल स्वरूप से छेड़छाड़ की गई। जो सूखे व बाढ़ का कारण बन रही है।

पिकनिक स्पाटों पर बढ़ी सैलानियों की भीड़

कनहर नदी के दोनों करार पकड़ लेने की भनक लगते ही जोरकहूं, कनहर ब्रिज व अमवार परियोजना स्थल पर सैलानियों की भीड़ उमड़ने लगी। लोगों की धमाचौकड़ी से पिकनिक स्पाट गुलजार होने के साथ ही वहां तरह तरह के व्यंजनों की खुशबू वातावरण को मंत्रमुग्ध कर दे रही है।


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