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Publish Date:Sat, 14 Feb 2015 07:03 PM (IST) | http://www.jagran.com/uttar-pradesh/sonbhadra-12078923.html

दुद्धी (सोनभद्र) : 39.90 मीटर ऊंचे व 3.24 किलोमीटर चौड़े कनहर बांध की बुनियाद की गहराई अब वैज्ञानिकों की जांच रिपोर्ट निर्धारित करेगी। बांध की सुरक्षा व मजबूती के प्रति गंभीर सिंचाई विभाग इसके लिए देश के विभिन्न प्रमुख रिसर्च संस्थाओं के अलग-अलग विशेषज्ञ वैज्ञानिकों को बुलाकर यहां सर्वे कराने में जुटी हुई है। बीते तीन दिन के अंदर मुख्य बांध व उसके आसपास के क्षेत्रों का भू-वैज्ञानिकों ने अत्याधुनिक संसाधनों की मदद से सर्वे किया। कई स्थानों से पत्थर, बालू, मिट्टी के साथ कनहर व पांगन नदी के पानी को बतौर नमूना एकत्र किया।

photographबता दें कि छह अक्टूबर 1976 को तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी द्वारा उद्घाटित कनहर परियोजना के इर्दगिर्द करीब 2.64 किलोमीटर लंबे क्षेत्रफल में आंशिक रूप से काम कराया जा रहा था लेकिन मुख्य बांध के छह सौ मीटर क्षेत्रफल का ड्राइंग अब तक फाइलों में ही बनता व बिगड़ता रहा है। इसे धरातल पर मूर्त रूप देने के पूर्व संबंधित अधिकारी किसी तरह की कोताही व जल्दबाजी करने के मूड में नहीं हैं। इसका उदाहरण यहां आ रहे वैज्ञानिकों के अलग-अलग दल को देखकर लगाया जा सकता है।

मुख्य बांध की ऊंचाई, लंबाई व चौड़ाई को दृष्टिगत रखते हुए इंजीनियरों की टीम इसकी बुनियाद की गहराई सात मीटर रखने का फैसला किए थे। इसी को आधार बनाकर मुख्य बांध के लिए नदी में खोदाई का काम चल रहा है। बीच नदी में दरार युक्त पहाड़ी, बालू व मिट्टी का जखीरा देखते हुए बीते माह दौरे पर आए मुख्य अभियंता ने प्रमुख अभियंताओं के साथ सुरक्षा व मजबूती को फोकस में रखकर विचार-विमर्श किया। पत्थर, बालू, मिट्टी व पानी की अब तक मिली जांच रिपोर्ट पर गहनतापूर्वक अध्ययन करने के पश्चात शीर्ष अधिकारियों ने वैज्ञानिकों की टीम से नए सिरे से जांच व सर्वे कराने का निर्णय लिया।

उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही मुख्य बांध की बुनियाद की गहराई तय करने का फैसला किया। अभियंताओं ने बताया कि बांध की मजबूती व सुरक्षा के प्रति विभाग पूरी तरह से संवदेनशील है। दो दशक पूर्व मुख्य बांध के इर्दगिर्द अधूरे पड़े मिट्टी के भीटे की भी जांच कराई जा रही है। यदि कोई कमी पाई गई तो उसका निदान करने के उपरांत ही आगे का काम कराया जाएगा। अब तक की जांच रिपोर्ट सकारात्मक होने की बात बताई गई है। इसके बावजूद बांध की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों से भी जांच कराने का निर्णय लिया गया है।


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