अहरौरा के सोनपुर गांव में कल से एक कच्चे मकान में 36 घंटे से कैद तेंदुआ को बीती रात कानपुर से आई टीम ने ट्रैंकुलाइजर गन के सहारे बेहोश कर के पकड़ा और उसे ले गयी । उसे पिजरे में कैद कर ले गयी इस दौरान वन विभाग की पूरी टीम मौके पर मौजूद रही। बता दे कि वन विभाग की टीम ने कल भी तेंदुआ को पकड़ने की कोशिश की थी । मगर कामयाबी नहीं मिल सकी । क्योंकी तेंदुआ को बेहोश करने के लिए ट्रैंकुलाइजर गन नहीं था। इसलिए कानपुर से डॉक्टर नासिर के नेतृत्व में टीम को बुलाया गया। जिसने 36 घंटे बाद तेंदुआ को पकड़ा । कल तेंदुआ पानी की तलाश में गांव में भटक रहा था। जब ग्रामीणों ने तेंदुआ को घेरा तो वह पेड़ पर चढ़ गया इसके बाद दो लोगों को जख्मी कर एक घर में घुस गया। कल सुबह से घर में घुसे तेंदुए को रात आठ बजे के करीब पकड़ा जा सका।वन विभाग के अनुसार तेंदुआ को होश आने पर कैमूर वन प्रभाग में छोड़ दिया जायेगा । मगर इस दौरान तेंदुआ को पकड़ने में जिस तरह से वन विभाग बेबस दिखा वह बताता है की वन क्षेत्र होने के बाद भी यहां किस तरह से संसाधनों का भारी आभाव है। वहीं जिले के DFO के. के. पांडे का कहना है कि लेट कोई नहीं हुआ है । यहां के घरों में दरवाजे नहीं हैं इसीलिए बंद किया था। लेकिन लेपर्ड जानवर बड़े शक्तिशाली होते है। की हम ट्रांसफर गेज नहीं कर सकते क्यों की हम निकलते तो इतनी पब्लिक थी को उन को घायल कर सकता था या जानवर खुद मर सकता था । हमने बड़े इंतजार करना जरुरी समझा ट्रैंकुलाइजर की टीम जो हमारी कानपुर से आई है उसे बिहोश कर के ताकि उसे हम सुरक्षित निकल ले और जानवर पानी की तलास में यहां आया होगा हमने लखनऊ से रिकेस्ट कर के कानपुर से ट्रेंकुलाइजर टीम को बुलाया था । मिर्ज़ापुर में भी होना चाहिए। मगर सवाल उठता है की वन विभाग को इतनी देर से क्यों एहसास होता है कि जिले में भी संसाधन होना जबकि जिले का अधिकांश भाग वन क्षेत्र में ही आता है ।
स्रोत-https://www.patrika.com/news/mirzapur/leopard-caught-after-36-hour-in-sonarpura-village-1312874