जिले के मड़िहान जंगल से पीने के पानी के लिए तड़पता हुआ भालू शुक्रवार की सुबह नकटी मिश्रौली गांव में घुस गया। इससे पूरे गांव में खलबली मच गई। ग्रामीणों ने भालू को देखकर यूपी 100 टीम के साथ ही वन विभाग के आला अधिकारियों को सूचना दी। वन विभाग,पुलिस और ग्रामीणों के तीन घंटे की मशक्कत के बाद भालू पकड़ा गया। पिंजड़े में कैद करके उसे डीएफओ कार्यालय लाया गया। यहां उसे जंगल में छोड़ दिया गया।मड़िहान जंगल भालुओं की मौजूदगी के लिए प्रसिद्ध है। वन विभाग के रिकॉर्ड में भी जंगल में भालुओं की संख्या दिखायी गई है। जंगल में अक्सर भालुओं की चहलकदमी भी वनकर्मियों को दिखती रहती है। मौजूदा समय में भीषण गर्मी के दौर में जंगल में जानवरों को पीने के पानी का संकट खड़ा हो गया है। इसी का परिणाम रहा कि शुक्रवार की सुबह छह बजे के करीब भालू पानी की तलाश में नकटी मिश्रौली गांव में पहुंच गया। भालू को सिवान में आता देख सबसे पहले कुत्तों ने भौंकना शुरू किया। इसके बाद ग्रामीणों की भी नजर भालू पर पड़ी। बस क्या था ग्रामीण लाठी-डंडा लेकर भालू के पीछे-पीछे चलने लगे। बचाव की तलाश में भालू बीच गांव में पहुंच गया और एक खाली मकान में घुस गया। ग्रामीणों ने फौरी दिखाते हुए घर का दरवाजा बंद करके पुलिस और डीएफओ केके पाण्डेय को सूचना दी। डीएफओ ने विंढमफाल रेंजर आरबी यादव के साथ पूरी टीम को मौके पर भेज दिया। टीम के सदस्यों के साथ ही ग्रामीणों और पुलिस ने कमरे में बंद भालू को पिंजरे में लाने के लिए तीन घंटे तक मशक्कत की। किसी प्रकार दस बजे भालू कूदकर पिंजरे में आया तब वन विभाग के लोग उसे डीएफओ कार्यालय ले आए। यहां उसे मड़िहान जंगल में उसके मूल स्थान पर छोड़ दिया गया।बरकछा से मड़िहान तहसील के पहले तक लगभग बीस किमी क्षेत्रफल में फैले जंगल में कहीं भी वन्य जीवों को पीने के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है। गर्मी के सीजन में सारे पहाड़ी नाले सूख गए हैं। नदियों में भी पानी नहीं रह गया है। खजुरी और सिरसी बांध तक की यात्रा करने में भालुओं सहित अन्य जानवरों को दिक्कतें हो रही है। इसी का परिणाम है कि वह पानी की तलाश में भटककर गांवों में पहुंच जा रहे हैं।दो महीने पहले इसी गांव के पास में दिखा था टाइगर दो महीने पहले मड़िहान जंगल के नकटी मिश्रौली गांव से लगे दूसरे गांव में टाइगर दिखा था। दो दिनों तक वन विभाग, कानपुर चिड़ियाघर की टीम के साथ ही पूरा प्रशासन टाइगर की तलाश में लगा रहा। उसके पद चिह्न भी मिले थे। लेकिन टाइगर का कहीं पता नहीं चला। सप्ताह भर तक दहशत में रात और दिन गुजारने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली थी तब तक भालू के गांव में घुसने से लोगों डर हो गया है। जंगल से सटा गांव होने के कारण ग्रामीणों में भय बना है कि कहीं पानी की तलाश में जानवरों की आवाजाही किसी बड़े खतरे का कारण न बन जाए। दो किलो शहद खाकर दमभर पानी पिया भालू ने डीएफओ कार्यालय में लाए गए दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव भालू को दो किलो शहद खिलाया गया। इसके बाद भालू के पिंजरे में मोटर चलाकर पाइप डाल दिया गया। इसके बाद तो ऐसा लगा कि भालू को स्वर्ग के सुख की अनुभूति हो रही है। भालू ने पाइप को मुंह में डालकर पानी पिया। इसके बाद भालू पानी से बच्चों की तरह पिंजरे में ही नहाने लगा। गर्मी से राहत मिलने के बाद भालू ने पिंजरे को तोड़ने की जोर आजमाइश भी शुरू कर दी। लेकिन पिंजरा मजबूत होने के कारण कहीं से भी क्षतिग्रस्त नहीं हो पाया। इसी से पता चला कि भालू प्यास से तड़प रहा था। भालू की उम्र 12 वर्ष और वजन चार क्विंटल रहा वन विभाग की टीम ने भालू की उम्र 12 वर्ष आंका। बताया कि भालू की पूरी उम्र 30 वर्ष तक की होती है। पूरी तरह से वयस्क भालू होने के कारण इसकी उम्र 12 है। यही नहीं भालू का वजन चार कुंतल रहा।
स्रोत-https://hindi.oneindia.com/news/uttar-pradesh/bear-arrest-village-after-many-tricks-411448.html