मिर्जापुर। जिले की हजारों एकड़ वन भूमि पर भूमाफियाओं की काली नजर है। यहीं कारण है कि धीरे-धीरे वन भूमि पर कब्जा हो रहा है। वर्तमान में अधिकतर क्षेत्रों में अतिक्रमण कर निर्माण का धंधा जोरों पर है, जिम्मेदार भी मुंह मोड़े बैठे हुए हैं। वन विभाग ने इसके लिए एकाध बार प्रयास भी किया लेकिन अतिक्रमणकारी इतने मनबढ़ हैं कि वह विभागीय अधिकारियों पर भी हमलावर हो गए। कई बार तो अधिकारियों को भी जान बचाकर भागना पड़ा।
सबसे अधिक वन भूमि पर कब्जा अथवा अतिक्रमण मड़िहान, हलिया व ड्रमंडगंज में है। इसके अतिरिक्त छानबे, विंध्याचल व राजगढ़ क्षेत्र में भी इस प्रकार के अतिक्रमण प्राय: होते रहते हैं। चिंता की बात यह है कि एक बार जो अतिक्रमण हो गया वह स्थायी हो जाता है। नतीजा यह हुआ कि अब जिले का वन क्षेत्र धीरे- धीरे सिकुड़ रहा है और आबादी बढ़ती जा रही है।
सबसे अधिक वन भूमि पर कब्जा अथवा अतिक्रमण मड़िहान, हलिया व ड्रमंडगंज में है। इसके अतिरिक्त छानबे, विंध्याचल व राजगढ़ क्षेत्र में भी इस प्रकार के अतिक्रमण प्राय: होते रहते हैं। चिंता की बात यह है कि एक बार जो अतिक्रमण हो गया वह स्थायी हो जाता है। नतीजा यह हुआ कि अब जिले का वन क्षेत्र धीरे- धीरे सिकुड़ रहा है और आबादी बढ़ती जा रही है।
हलिया में हुआ था डीएफओ पर हमला
हलिया। कैमूर वन्य क्षेत्र अभयारण्य जंगल में वन क्षेत्र के अंदर झुग्गी झोपड़ी लगाकर अतिक्रमण को चार वर्ष पूर्व प्रभागीय वनाधिकारी भरत लाल व वन क्षेत्राधिकारी बी के पांडेय की टीम हटवाने गई थी। लेकिन अतिक्रमणकारी एवं एक दल विशेष के लोगों ने उन पर हमला बोल दिया। जिसमें प्रभागीय वन अधिकारी सहित क्षेत्राधिकारी बीके पांडेय को चोटें आई थी। इसके बाद निवर्तमान रेंजर भास्कर पांडेय द्वारा एक वर्ष पूर्व अतिक्रमण को हटवाया गया था। तथा सैकड़ों के विरुद्ध वन अधिनियम में कार्रवाई भी की गई थी। फुलियारी कंम्पार्टमेंट नंबर दो चौरा बीट में तीन हेक्टेअर भूमि पर की गई खेती तथा अवैध झुग्गी झोपड़ी एवं मकान अतिक्रमणकारियों द्वारा बना लिया गया।अदवा बैराज के पास जंगल में भी अतिक्रमणकारियों का अवैध कब्जा था। क्षेत्र के सिकटा, सोनगढ़ा ,बढ़वार, बबुरा रघुनाथ सिंह राजपुर, मड़वा धनावल जंगल में अवैध अतिक्रमण कारियों का कब्जा बना हुआ है।