जागरण संवाददाता, मीरजापुर। हलिया वन सेंचुरी क्षेत्र के हलिया पहरी, बसकुड़िया वनक्षेत्र में वन विभाग की उदासीनता से खनन माफियाओं द्वारा पत्थर का धड़ल्ले से खनन किया जा रहा है। इतना ही नहीं वनकर्मियों की मिलीभगत से हलिया पहरी पर दस वर्ष पूर्व पौधों की सुरक्षा के लिए बनाई गई चार फीट ऊंची (खखरी) पत्थर की दीवार में लगे पत्थरों को भी हौसला बुलंद खनन माफिया ट्रैक्टर ट्राली से लादकर उठा ले जा रहे हैं। इसके बावजूद भी वनविभाग मूक दर्शक बना हुआ है।
वनविभाग द्वारा खनन माफियाओं के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होने से बेखौफ होकर पत्थर का खनन किया जा रहा है। वनविभाग की उदासीनता के चलते बड़े पैमाने पर पत्थर निकालने वाले खनन माफियाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने से अवैध रूप से खनन करने वालों का हौसला बुलंद है। वन सेंचुरी क्षेत्र के विभिन्न जगहों से निकाले जा रहे पत्थर को खनन माफियाओं द्वारा ट्रैक्टर ट्राली से लादकर क्षेत्र में बन रही नहरों, सड़कों, आरसीसी आदि में खपाया जा रहा है।
स्थानीय स्तर पर पत्थर आसानी से मिल जाने के कारण नहर व सड़क निर्माण करवा रहे ठेकेदार सस्ते दामों पर खनन माफियाओं से पत्थर व गिट्टी खरीद लेते हैं। वन सेंचुरी क्षेत्र से पत्थर निकाले जाने से वन्य जीवों तथा पर्यावरण को भारी क्षति पहुंच रही है इसके बावजूद भी वन महकमा हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है। क्षेत्रीय लोगों ने वनसेंचुरी क्षेत्र में पत्थर का खनन करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करवाया है। इस संबंध में वनक्षेत्राधिकारी हलिया प्रेम प्रकाश चौबे ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। वन क्षेत्र में खनन कर पत्थर निकालने वाले खनन माफियाओं के विरुद्ध अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी। अवैध खनन कर पर्यावरण को क्षति पहुंचाने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा।