मिर्जापुर जनपद में एक ऐसा स्थान है जहां भारतीय उड़न लोमड़/ Indian Flying Fox (वैज्ञानिक नाम- Pteropus medius) का बसेरा है। यह मुख्यत फलाहारी होते है जिसके वजह से इसको ‘ग्रेटर इंडिया फ्रूट बैट’ भी कहते है, जो भारत में पाए जाने वाले सबसे बड़ा चमगादर की प्रजाति हैं एवं दुनिया के सबसे बड़े चमगादड़ों में से एक हैं। उत्तर प्रदेश में जिला मिर्जापुर, तहसील मड़िहान, गांव नेवरहिया के पास लालगंज-कलवरी रोड पर प्रस्तावित सड़क चौड़ीकरण परियोजना के कारण काटे जाने वाले पेड़ों में से कुल 13 पेड़ों पर इस प्रजाति का 50 वर्ष से भी पुराना निवास है जो अब गंभीर खतरे में हैं। यह मिर्जापुर जिले में भारतीय उड़न लोमड़ का एकमात्र पर्यवास माना जा रहा है।
विंध्य पारिस्थितिकी और प्राकृतिक इतिहास फाउंडेशन की शोध टीम ने प्रकृतिवादी एवं पटेहरा निवासी श्री कार्तिक सिंह के नेतृत्व में, जमीनी स्थिति की समीक्षा कर निम्नलिखित जानकारी एकत्रित की गई हैं:
- मौजूदा सड़क के किनारे ऐसे 13 यूकेलिप्टस के पेड़ हैं जो 'भारतीय उड़न लोमड़' का पर्यावास हैं। ग्रामीणों द्वारा इस उड़न लोमड़ की बस्ती की उम्र 50 वर्ष से अधिक बताई जा रही है।
- संस्था के कार्यकर्ताओं द्वारा के गई गणना के अनुसार इन पेड़ों पर कुल 287 'भारतीय उड़न लोमड़' की मौजूदगी पाई गई हैं।
- उपलब्ध जानकारी के अनुसार, यह स्थान उत्तर प्रदेश के जिला मिर्जापुर में 'भारतीय उड़न लोमड़' का यह एकमात्र निवास स्थान है।
- अगर इन पेड़ों को काटा जाता है, तो हम मिर्जापुर में इंडियन फ्लाइंग फॉक्स का अंतिम निवास स्थान खो देंगे और शायद भविष्य में यहा से विलुप्त हो जाएंगे।
- सड़क चौड़ीकरण परियोजना सड़क के दोनों किनारों पर कृषि क्षेत्रों से पुन: संरेखित करके पहचाने गए पेड़ों को काटे बिना भी की जा सकती है।
मिर्जापुर में भारतीय उड़न लोमड़ के एकमात्र निवास स्थान- 13 यूकेलिप्टस के पेड़ों को काटने से छूट देने पर विचार करना जरूरी है । सड़क के दोनों ओर खेत हैं जिसमें से एक अतिरिक्त सड़क आसानी से बनाई जा सकती है।
इस विषय पर विंध्य बचाओ की ओर से जिलाधिकारी, प्रभागीय वनाधिकारी एवं मुख अभियंता-लोक निर्माण विभाग को स्थिति का विवरण देते हुए अनुरोध पत्र दिया गया है जिसे आप यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं।
तहसील मड़िहान, गांव नेवरहिया के पास लालगंज-कलवरी रोड पर स्थित भारतीय उड़न लोमड़ के बस्ती के कुछ चित्र यहाँ देख सकते है:
फोटो सौजन्य: विंध्य पारिस्थितिकी और प्राकृतिक इतिहास फाउंडेशन