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मिर्ज़ापुर में वन्यजीव के संरक्षण के लिए कार्य कर रही स्वयंसेवी संस्थान विंध्य पारिस्थितिकी एवम प्राकृतिक इतिहास संस्थान (विंध्य बचाओ) के संस्थापक श्री देबादित्यो सिन्हा को प्रख्यात 'सेंक्चुअरी वाइल्डलाइफ सर्विस पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है।

सेंक्चुअरी एशिया, डी.एस.पी. म्युचुअल फंड, इंडसइंड बैंक एवम ग्रीनको द्वारा 20वें सैंक्चुअरी वाइल्डलाइफ अवार्ड कार्यक्रम 20 दिसंबर को मुम्बई के टाटा थियटर में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन मशहूर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने किया एवम उनको यह सम्मान पद्मश्री विजया मेहता द्वारा 1000 से भी ज़्यादा अतिथियों के बीच प्रस्तुत किया गया। सेंक्चुअरी वाइल्डलाइफ अवार्ड की शुरुआत वर्ष 2000 में भारतवर्ष के लुप्तप्राय वन्यजीवों और उनके आवासों की संरक्षण करने वाले व्यक्तियों के उत्कृष्ट कार्य को पहचानने के लिए स्थापित किया गया था।

मिर्ज़ापुर में पाए जाने वाले स्लॉथ भालू के संरक्षण में किए जा रहे उनके शोधकार्य एवं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में प्रकृति संरक्षण के लिए किए गए मुकदमों के लिए उनको सराहा गया एवम उनके कार्यों और एक लघु फ़िल्म भी दिखाई गई। देबादित्यो वर्ष 2009-2012 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पर्यावरण विज्ञान में स्नातकोत्तर के लिए मिर्ज़ापुर स्थित दक्षिणी परिसर में 3 साल रहे। मिर्ज़ापुर के जंगल एवम वन्यजीवों से उनको खासा लगाव हो गया एवम उन्होंने वर्ष 2011 में 'विंध्य की व्यथा' चलचित्र बनाया जिसमें उन्होंने जनपद के प्राकृतिक संपदा पर पड़ रहे मानवीय दबाव को दर्शाया। 2012 में उन्होंने जिले के वरिष्ठ पत्रकार श्री शिव कुमार उपाध्याय के सहयोग से 'विंध्य पारिस्थितिकी एवं प्राकृतिक इतिहास संस्थान' की स्थापना की जिसे 'विंध्य बचाओ' के नाम से भी जाना जाता है। बी.एच.यू. के मिर्ज़ापुर परिसर में भी वह काफी लोकप्रय छात्र रहे हैं एवं 2012 में  'इको-वन' छात्र-संगठन की भी स्थापना करी जिसमें तत्कालीन कुलपति पद्मश्री लालजी सिंह का उन्हें भरपूर सहयोग भी मिला। जिले के जल प्रपातों की सफाई और देख रेख के लिए उन्होंने वन विभाग के साथ मिलकर कई आंदोलन भी चलाये। वर्ष 2016 में उन्होंने एक थर्मल पावर कंपनी के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में निर्णायक जीत हासिल की जिसमें इन्होंने परियोजना स्थल पर वन एवं वन्यजीवों की मौजूदगी को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया था। वर्ष 2017 में मिर्ज़ापुर के वन क्षेत्र में पाए जाने वाले स्लॉथ भालुयों के पर्यावास पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें उन्होंने जिले के 5 वन रेंज- मड़िहान, सुकृत, चुनार, पटेहरा एवं ड्रमडग़ंज में भालुयों के प्राकृतिक पर्यावास होने के ठोस वैज्ञानिक सबूत जुटाए एवं वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अधीन इनको संरक्षित करने की मुहिम शुरू की। वर्ष 2018 में मिर्ज़ापुर वन विभाग और कैमूर वन्यजीव विभाग के साथ इनकी संस्था ने विशेष कैमरों द्वारा जनपद में पाए जाने वाले अन्य वन्यजीवों के बारे में पता लगाने के लिए एक शोधकार्य शुरू किया जिसमें कई वन्यजीव ऐसे भी मिले जो उत्तर प्रदेश में पहली बार देखे गए। इस शोध कार्य को देश विदेश के नामी गिरामी हस्तियों एवम संस्थाओं ने सराहा एवं मिर्ज़ापुर में जल्द से जल्द स्लॉथ भालू के लिए समर्पित संरक्षण क्षेत्र घोषणा करने की दरख्वास्त की है जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार अभी विचार कर रही है।

Awardees of The Sacntuary Wildlife Awards 2019

देबादित्यो सिन्हा के अलावा चांदनी गुरुश्रीकर (कर्नाटक), आई.एफ.एस. श्री अभिजीत राभा (करबि आंगलोंग), खीरबाबू व महिलाबाई पारधी (मध्य प्रदेश), अरुन गौड़ (उत्तराखण्ड) को भी यह सम्मान मिला है। भारत सरकार के पूर्व अपर वन महानिदेशक आई.एफ.एस. श्री विनोद ऋषि को 'सेंक्चुअरी एशिया लाइफटाइम एचीवमेंट पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है। निहारा पांडेय (गोआ) और तौकीर आलम (उत्तराखंड) को 'यंग नेचुरलिस्ट' पुरस्कार दिया गया। मध्य प्रदेश की महिला वन रक्षक लक्ष्मी मरावी को 'ग्रीन टीचर' पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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पद्मश्री डॉ. विजया मेहता से पुरस्कार प्राप्त करते हुएDebadityo Parul Bittu

सेंक्चुअरी वाइल्डलाइफ सर्विस अवार्ड के साथ देबादित्यो सिन्हा (दांये), उनकी पत्नी पारुल गुप्ता (बीच में) और सेंक्चुअरी एशिया के संस्थापक एवं सम्पादक बिट्टू सहगल (बांये)

Vinod Rishi-lifetime achievement award

देबादित्यो सिन्हा  एवं आई.एफ.एस. श्री विनोद ऋषि 

विंध्य बचाओ के सह-संस्थापक एवम मिर्ज़ापुर के वरिष्ठ पत्रकार श्री शिव कुमार उपाध्याय ने इसे मिर्ज़ापुर के प्राकृतिक इतिहास का सुनहरा पल बताया।उन्होंने कहा, 'सेंक्चुअरी वाइल्डलाइफ पुरस्कार भारतवर्ष में वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में सबसे पुराना ही नहीं बल्कि सबसे विश्वसनीय पुरस्कार है। यह सम्मान मिर्ज़ापुर के वन्यजीवों को एक नई पहचान देगी एवम विंध्य बचाओ अभियान को और मजबूती देगी।  देबादित्यो सिन्हा को यह पुरस्कार मिलने से हम सभी उत्साहित है।'

सेंक्चुअरी एशिया के संस्थापक और संपादक श्री बिट्टू सहगल ने सभी सम्मानितों को 'धरती सेवक' कह कर संबोधित किया। उन्होंने कहा जहाँ सरहद पर हमारे वीर देश की रक्षा करते हैं, वहीं यह वीर देश के अंदर हमारे जलस्रोत, वन इत्यादि की रक्षा करते हैं जिससे हमारी पूरी अर्थव्यवस्था मजबूत रहती है। सही मायने में यह आज के युग के स्वतंत्रता सेनानी है जिन्हें आने वाली पीढी विश्व को बचाने के लिए हमेशा याद रखेगी।

देबादित्यो सिन्हा ने पुरस्कार का श्रेय विंध्य बचाओ के समर्थकों एवम कार्यकर्ताओं को दिया। साथ ही अपने माताजी दुर्बा रॉय को जीवों के प्रति प्रेम के लिए, अपने शिक्षक डॉ अनुराधा भट्टाचार्य को पारिस्थितिकी विज्ञान में दिलचस्पी लाने, कॉलेज प्रिंसिपल डॉ सावित्री सिंह को कक्षा के बाहर पर्यावरण के लिए कार्य करने के प्रोत्साहन बढ़ाने एवम अपनी पत्नी पारुल गुप्ता को उनके काम में सहयोग और सुदृढ़ बनाने के लिए धन्यवाद दिया।


Inventory of Traditional/Medicinal Plants in Mirzapur