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आज 13 फरवरी को मिर्ज़ापुर वन प्रभाग एवम विंध्य पारिस्थितिकी एवम प्राकृतिक इतिहास संस्थान (विंध्य बचाओ) द्वारा मिर्ज़ापुर वन विभाग कार्यालय के मौलश्री सभागार में सम्पन्न हुआ। इस मौके पर प्रभागीय वन अधिकारी श्री राकेश चौधरी, उप प्रभागीय अधिकारी श्री पंकज शुक्ला, सहायक वन संरक्षक वी.के. सिंह, रेंज अधिकारी लालगंज श्री पी.के. सिंह, रेंज अधिकारी मड़िहान श्री पी.के. मिश्र, रेंज अधिकारी चुनार श्री एस.पी. ओझा, रेंज अफसर मीरजापुर अजय सिंह आदि अपने सपोर्ट स्टाफ के साथ मौजूद रहे। विंध्य पारिस्थितिकी एवम प्राकृतिक इतिहास संस्थान की तरफ से देबादित्यो सिन्हा, शिव कुमार उपाध्याय एवम सुधांशु कुमार उपस्थित रहे। इस मौके पर भालू, तेंदुआ, बाघ आदि जंगली वन्यजीव और मानव संघर्ष पर चर्चा की गई।
Conflict Management Workshop1
 
देबादित्यो सिन्हा ने बताया कि तेंदुआ और बाघ इंसानों से वैसे ही बहुत डरते हैं, वे अपने आप ही जंगल में चले जाते है। ज़्यादातर वन्यजीव-मानव संघर्ष तब होता है जब लोग अज्ञानता के चलते उस जानवर को पकड़ने या मारने के लिए डंडा और पत्थर मारते है या घेरने की कोशिश करते हैं। इस बात पर भी जोर दिया गया कि जंगलों में फलदार वृक्षों एवम जल स्रोतों की रक्षा करने से वन्यजीव जंगल से बाहर नहीं निकलेंगे। भालू के बारे में कहा गया कि वह चीटी, दीमक एवम बेर खाता है एवम हमले आकस्मिक आमना सामना से ही होते है। आम जनों को जंगल में अकेले ना घूमने के प्रति जागरूक करने एवम जंगली जानवरों के पारिस्थितिकी पर ज्ञानवर्धन करने की ज़रूरत पर विचार विमर्श किया गया।
Conflict Management Workshop2
प्रभागीय वनाधिकारी श्री राकेश चौधरी ने इस कार्यशाला को उपयोगी बताते हुए कहा कि मिर्ज़ापुर में सभी रेंज अफसर बहुत सचेतता के साथ वन्यजीवों के सुरक्षा में लगे है। उन्होंने वन रक्षक के टीम को सराहा और कहा कि कई मानव-वन्यजीव संघर्षों को दुर्घटनाओं को उनके विभाग के लोगों ने दुर्घटना में तब्दील होने से बचाया एवम जंगली जानवरों को सुरक्षित अपने पर्यावास मैं छोड़ा गया। उन्होंने ग्रामीणों से निवेदन किया है कि वह किसी भी जंगली जानवर के गांव में दिखने पर वन विभाग को सूचित करें।

Inventory of Traditional/Medicinal Plants in Mirzapur