आम तौर पर दिनचर जानवर मानव-बाहुल्य इलाकों में निशाचर बन जाते हैं। उदाहरणत: एक नेवला या तेंदुआ जो जंगली माहौल में आमतौर पर दिन में सक्रिय रहता है लेकिन मानव बाहुल्य वाले परिदृश्य में निशाचर बन जाते है एवं सांध्यकाल के बाद ही गतिविधि करते है। लॉकडाउन की स्थिति में जहां मानवीय गतिविधियाँ बहुत कम हो गई हैं, जंगली जानवरों ने अपने प्राकृतिक गतिविधि स्वरूप में वापस लौटने के संकेत दिखाना शुरू कर दिया है। शहरी क्षेत्रों में दिन के उजाले में यह दिनचर प्रजातियां अधिक साहसपूर्वक तरीके से सामने आ सकती हैं ।
आम तौर पर नहीं दिखने वाले जंगली जानवर अगर अचानक हमारे सामने आ जाये तो हमें क्या करना चाहिए? जहां तेंदुए, नीलगाय या हाथी जैसे बड़े जानवर बहुत आसानी से हमारा ध्यान आकर्षित करते हैं वहीं नेवला, मुश्कबिलाव (सिवेट), बंदर/लंगूर या गोह इत्यादि हमें उतना आकर्षित नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिति में जंगली जानवरों के साथ कैसे व्यवहार करें इसके बारे में कुछ सामान्य निर्देश नीचे दिए गए हैं:
- अगर कोई वन्यजीव दिखे तो अनदेखा कर के उसे वापस जाने के लिए खुली जगह दें। जहां आवश्यकता नहीं हो वहाँ जंगली जानवरों से छेड़छाड़ की कोशिश ही मानव-वन्यजीव संघर्ष के शुरूआत का कारण होता है। अधिकांश मामलों में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती है। मनुष्यों को अपने चारों ओर पाकर, जानवर खतरा महसूस करता है जिससे संघर्ष या बचाव की स्थिति उत्पन्न होती है, इसलिए, हमें इससे बचना चाहिए।
- जंगली जानवरों को खिलाने से बचना चाहिए क्योंकि वे आवारा कुत्तों की तरह अपनी भूख-प्यास मिटाने के लिए विक्रेताओं या दूसरों पर निर्भर नहीं रहते हैं। हालांकि गर्मियों के मौसम में गिलहरियों और पक्षियों को पानी पिलाना अलग बात है।
- जंगली जानवरों के आसपास भीड़ नहीं लगाना चाहिए, हालांकि इसका पालन लॉकडाउन अवधि के समाप्त होने के बाद भी किया जाना चाहिए। हाल ही में असम के जोरहाट में लगभग 7000 लोग इकट्ठा होकर एक तेंदुए का पीछा करते देखे गए।
- यदि जानवर किसी मुसीबत में है जैसे लोगों से घिरा हुआ है, या कहीं फंस गया है, या कुएं / खाई में गिर गया है और यदि आप या आपकी संपत्ति खतरे में है, तो वन विभाग के कर्मियों या आस-पास के वन्यजीव बचाव संगठनों से संपर्क करें।
यहाँ विशिष्ट वर्ग के जीवों के लिए कुछ सलाह दी गई हैं:
लॉकडाउन में जब लोग अपने घरों में रह रहे हैं, तब सांपों का घरों में प्रवेश करने की संभावना कम है। यदि सांप घर में घुसता है तो आप एक लंबी छड़ी या झाड़ू के मदद से उसे बाहर ले जाने की कोशिश करें। नहीं तो दरवाजा खुला रख कर विपरीत दिशा में हलचल पैदा करने से सांप अपने आप बाहर जाने को मजबूर हो जायेगा। अगर आप ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो अपने इलाके में काम करने वाले किसी साँप बचाव दल से संपर्क करें।
सड़क पर गाड़ियां नहीं चलने तथा निर्माण कार्यों को भी रोक दिए जाने से पक्षियों की चहचहाहट बहुत अधिक सुनने को मिल रहा है। पक्षियों से सबसे कम खतरे की संभावना होती है। आम तौर पर हम पक्षियों को भटका हुआ नहीं मानते हैं। जिन जगहों पर पक्षी जाने से डरते थे अब वे वहां घोंसला बनाने या रहने के लिए वापस आ सकते हैं । अगर आपको अपने घर के आस पास कोई पक्षी घोंसला बनाते मिले, तो खुश हो जाइए !
छोटे मांसाहारी जानवर जैसे नेवला और गोह दिन में कई बार दिख जाते हैं। उन्हें अकेला छोड़ देने से वे वापस चले जाएंगे। अगर फिर भी आपको संदेह है कि ये आपके मुर्गे और दूसरे छोटे जानवर पर हमला कर सकते हैं, तो मदद के लिए वन विभाग या वन्यजीव बचाव संगठनों से संपर्क करें।
भटके हुए तेंदुए तब तक नुकसान नहीं पहुचाते जब तक कि कोई उनकी गोपनीयता में अपनी नाक नहीं घुसेड़ता। कई दूसरे जानवरों की तरह, वे दिन के उजाले में सुनसान सड़कों और बस्तियों को देखकर बाहर आकर घूमते भी हैं। लॉकडाउन के लागू होने के बाद से देश में चंडीगढ़; जोरहाट; गोलाघाट; नासिक से चार ऐसे उदाहरण सामने आए हैं। यह एक बड़ा मांसाहारी जानवर है इसलिए घबरा कर उसे आतंकित न करें। उन्हें अपने हाल पर छोड़ देने से वे स्वयं ही वापस चले जाएंगे।
नोएडा जैसे शहरों की सड़कों पर खुर-वाले बड़े स्तनपायी जानवर जैसे नीलगायों के घूमने की खबरें पहले से ही आ रही हैं। नीलगाय अपने आप को नए माहौल में ढ़ाल लेती है जिससे वह आसानी से सुनसान सड़कों, पार्कों और फसल वाले खेतों का लाभ उठाने में सक्षम है। कोदईकनाल जैसे पहाड़ी इलाकों की सड़कों पर गौर (एक प्रकार का जंगली साण्ड) का देखा जाना पहले से अधिक आम हो गया है। घर के अंदर रहकर सड़कों पर इनके घुमने का आनंद लेना चाहिए। लॉकडाउन समाप्त होने के बाद चीजें धीरे-धीरे सामान्य हो जाएंगी।
अपने झुण्ड के साथ उछल कूद करते बंदरों को संभालना सबसे ज्यादा कठिन होता है। तालाबंदी के दौरान बाकी सभी शहरी वन्यजीवों में बंदर सबसे अधिक लाभ में रहेंगे। कुछ शहरों में बंदर सड़कों पर फिर से वापस आ गए हैं। बंदरों को पकड़ कर नए जगहों पर छोड़ना आसान और प्रभावी नहीं है। इसलिए लॉकडाउन समाप्त होने तक इस स्थिति को सहन करना ही सबसे अच्छा तरीका है।
हरिद्वार में एक जंगली हाथी को शहर की सुनसान सड़कों पर घूमते देखा गया है। वन क्षेत्रों के करीब बसे टाउनशिप या बस्तियों में ऐसी घटनाओं का खतरा अधिक रहता है । आजकल सड़कों पर कोई नहीं है जिससे जान माल का कोई खतरा नहीं होगा। अगर वे किसी संपत्ति को कोई नुकसान पहुचायें बिना ही घूम रहे हैं तब उन्हें अनदेखा करना ही सबसे अच्छा विकल्प है नहीं तो सहायता के लिए वन विभाग के कर्मियों से संपर्क करना चाहिए।
साभार : वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (WTI)
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