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विश्व मगरमच्छ दिवस दुनिया भर में पाए जाने वाले मगरमच्छों के अलग अलग प्रजातियों के दुर्दशा को उजागर करने तथा संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। इस अवसर पर हम भारत तथा खास कर विंध्य क्षेत्र में पाए जाने वाले मगरमच्छों से आपका परिचय कराते हैं। विश्व भर में मगरमच्छों के कुल 24 प्रजातियाँ हैं, जो साफ पानी या समुद्र के खारे जल मे रहते हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो कि एक खास भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाते हैं जिससे उनका नामकरण भी उसी आधार पर किया गया है। 

भारत में मगरमच्छों के सिर्फ 3 प्रजातियाँ ही पायी जाती हैं:

1. खारे जल का मगरमच्छ (Saltwater crocodile) Crocodylus porosus

2. मगरमच्छ (Marsh crocodile) Crocodylus palustris

3. घड़ियाल (Gharial / Fish-eating crocodile) Gavialis gangeticus

1. खारे जल का मगरमच्छ (Saltwater crocodile) Crocodylus porosus

  • बंगाल की खाड़ी से लगे समुद्री तटों जैसे ओड़िशा, पश्चिम बंगाल और तमिल नाडु में पाए जाते हैं।
  • ये भारत के पूर्वी समुन्द्री तटों से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक पाए जाते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के अगस्त 1996 के आकलन के अनुसार संकटग्रस्त प्रजातियों की “रेड डाटा सूची” / लाल सूची में इसे  “संकटमुक्त (Least Concern या LC)” श्रेणी मे रखा गया है।
  • खारे पानी के मगरमच्छ को भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के सूची 1 के तहत संरक्षित किया गया है।
 Saltwater crocodile
खारे जल का मगरमच्छ (फोटो- fvanrenterghem/ Flickr)
 2. मगरमच्छ (Marsh crocodile) Crocodylus palustris
  • मगरमच्छ पूरे भारत में साफ जल के स्रोतों जैसे झील, तालाब तथा मंदगति वाली नदियाँ, दलदली भूमि और कच्छ भूमि में पाए जाते हैं।
  • ये भारत, ईरान, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश में पाए जाते हैं। 
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के जून 2009 के आकलन के अनुसार संकटग्रस्त प्रजातियों की “रेड डाटा सूची” / लाल सूची में इसे “असुरक्षित (Vulnerable या VU)”  श्रेणी मे रखा गया है।
  • मगरमच्छ को भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के सूची I के तहत संरक्षित किया गया है।
Mugger Crocodile

मगरमच्छ (फोटो- देबादित्यो सिन्हा / विंध्य बचाओ)

 3. घड़ियाल (Gharial / Fish-eating crocodile) Gavialis gangeticus
  • घड़ियाल भारत में मुख्य रूप से गंगा एवं इसकी सहायक नदियां जैसे सोन, चंबल नदी, कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य / जलाशय (गिरवा नदी पर), कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान और गंडक नदी आदि जगहों में पाए जाते हैं।
  • ये भारत, नेपाल और बांग्लादेश में पाए जाते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के दिसम्बर 2017 के आकलन के अनुसार संकटग्रस्त प्रजातियों की “रेड डाटा सूची” / लाल सूची में इसे “घोर-संकटग्रस्त (Critically Endangered या CR)” श्रेणी मे रखा गया है।
  • घड़ियाल को भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के सूची 1 के तहत संरक्षित किया गया है।
 Gharial
घड़ियाल  (फोटो- देबादित्यो सिन्हा / विंध्य बचाओ)
 

विंध्य भू-परिदृश्य में स्थित मिर्जापुर गंगा के किनारे बसे होने तथा अपने अलग प्राकृतिक संरचना के कारण मगरमच्छों के 2 प्रजातियों के लिए प्राकृतिक वास उपलब्ध कराता है। मिर्जापुर के मड़िहान, राजगढ़, हलिया क्षेत्र में मगरमच्छ (Marsh crocodile) Crocodylus palustris बहुतायत में पाए जाते हैं तथा दूसरे तहसीलों के जलाशय में भी देखे जाते हैं। मिर्ज़ापुर से बहने वाली नदी बकहर, बेलन, खजूरी, अधवा एवं कई बाँध, नहरों एवं जल-प्रपातों में इन्हें सर्दिओं के मौसम में धूप सेंकते देखे जा सकते हैं। गर्मीयों और बरसात में कई बार मगरमच्छ गाँवों में भी आ जाते हैं।

वहीं घड़ियाल (Gharial / Fish-eating crocodile) Gavialis gangeticus गंगा नदी में चुनार से लेकर मिर्जापुर एवं विंध्याचल तथा गौरा घाट (जिगना थाना) के बीच कई बार देखा गया है। मिर्ज़ापुर में स्थित कैमूर वन्यजीव अभ्यारण्य से गुजरने वाली बेलन नदी में भी किसी ज़माने में घड़ियाल मिलते थे।

घड़ियाल एवं मगरमच्छ के मुख्य पहचान :

घड़ियाल

  • घड़ियाल का मुंह लंबे, पतले थूथन से बना होता है। 
  • नर घड़ियाल के थूथन के अंत में एक घड़ा जैसा आकार बना रहता है, जिससे इसे घड़ियाल बोला जाता है।
  • नर घड़ियाल 6 मीटर तक लंबा हो सकता है तथा वजन 250 किलोग्राम तक हो सकता है। 
  • मादा घड़ियाल नर से छोटी होती है तथा इसके थूथन भी छोटा होता है। 
  • इसके मुंह में बहुत ही तेज दांत होते हैं जो मछली को पकड़ने के लिए ही बने हैं, जो की इसका मुख्य आहार भी है।
  • घड़ियाल हमेशा पानी में ही रहना पसंद करता है तथा सिर्फ धूप सेंकने और घोंसला बनाने के लिए ही बाहर निकलता है।

मगरमच्छ 

  • मगरमच्छ के थूथन दूसरे सभी प्रजातियों से ज्यादा चौड़ा होता है।
  • मगरमच्छ जब अपना मुंह बंद करते हैं तो उनके दांत बाहर की तरफ दिखते हैं।
  • नर और मादा में सिर्फ लंबाई का अंतर होता है। 
  • मगरमच्छ मछली, सांप, कछुआ, पक्षी, बंदर, गिलहरी, ऊदबिलाव, कुत्ते तथा मरे हुए जानवर भी खाता है। 
  • यह मनुष्यों को पानी में खींच कर डुबाकर मार डालता है तथा बहुत कम ही बार उसे मरे हुए आदमी को खाते हुए पाया गया है। 
नीचे दिए गए विडिओ में आप मिर्ज़ापुर में फिल्माए गए मगरमच्छ  देख सकते है:
 
 
 

Inventory of Traditional/Medicinal Plants in Mirzapur