सेंचुरी वाइल्ड लाइफ अवार्ड कार्यक्रम मुम्बई के टाटा थियटर में सम्पन्न हुआ
गिरजा शंकर
मीरजापुर, 23 दिसम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जनपद में वन्यजीव के संरक्षण के लिए कार्य कर रही स्वयंसेवी संस्था विंध्य पारिस्थिति एवं प्राकृतिक इतिहास संस्थान (विंध्य बचाओ) के संस्थापक देबादित्यो सिन्हा को प्रख्यात सेंचुरी वाइल्ड लाइफ सर्विस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
मीरजापुर, 23 दिसम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जनपद में वन्यजीव के संरक्षण के लिए कार्य कर रही स्वयंसेवी संस्था विंध्य पारिस्थिति एवं प्राकृतिक इतिहास संस्थान (विंध्य बचाओ) के संस्थापक देबादित्यो सिन्हा को प्रख्यात सेंचुरी वाइल्ड लाइफ सर्विस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
सेंक्चुरी एशिया, डीएसपी. म्युचुअल फंड, इंडसइंड बैंक एवं ग्रीनको की ओर से 20वां सेंचुरी वाइल्ड लाइफ अवार्ड कार्यक्रम 20 दिसम्बर को मुम्बई के टाटा थियटर में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने किया एवं सिन्हा को यह सम्मान पद्मश्री विजया मेहता ने एक हजार से भी ज्यादा अतिथियों के बीच दिया। सेंचुरी वाइल्ड लाइफ अवार्ड की शुरुआत वर्ष 2000 में भारतवर्ष के लुप्तप्राय वन्यजीवों और उनके आवासों की संरक्षण करने वाले व्यक्तियों के उत्कृष्ट कार्य को पहचानने के लिए की गई थी।
मीरजापुर में पाए जाने वाले स्लॉथ भालू के संरक्षण में किए जा रहे उनके शोधकार्य एवं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में प्रकृति संरक्षण के लिए किए गए मुकदमों के लिए उनको सराहा गया एवं उनके कार्यों पर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई। देबादित्यो वर्ष 2009-2012 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पर्यावरण विज्ञान में स्नातकोत्तर के लिए मीरजापुर के बरकछा स्थित बीएचयू के राजीव गांधी दक्षिणी परिसर में तीन साल रहे। मीरजापुर के जंगल एवं वन्यजीवों से उनको खासा लगाव हो गया और उन्होंने वर्ष 2011 में 'विंध्य की व्यथा' चलचित्र बनाई, जिसमें उन्होंने जनपद के प्राकृतिक संपदा पर पड़ रहे मानवीय दबाव को दर्शाया। 2012 में उन्होंने जिले के वरिष्ठ पत्रकार शिवकुमार उपाध्याय के सहयोग से विंध्य पारिस्थिति एवं प्राकृतिक इतिहास संस्थान की स्थापना की, जिसे 'विंध्य बचाओ' के नाम से भी जाना जाता है।
विंध्य बचाओ अभियान को मिलेगी और मजबूती
विंध्य बचाओ के सह-संस्थापक शिवकुमार उपाध्याय ने इसे मीरजापुर के प्राकृतिक इतिहास का सुनहरा पल बताया। उन्होंने कहा कि सेंचुरी वाइल्ड लाइफ पुरस्कार भारतवर्ष में वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में सबसे पुराना ही नहीं बल्कि सबसे विश्वसनीय पुरस्कार है। यह सम्मान मीरजापुर के वन्यजीवों को एक नई पहचान देगी व विंध्य बचाओ अभियान को और मजबूती देगी। देबादित्यो सिन्हा को यह पुरस्कार मिलने से हम सभी उत्साहित है।
विंध्य बचाओ के सह-संस्थापक शिवकुमार उपाध्याय ने इसे मीरजापुर के प्राकृतिक इतिहास का सुनहरा पल बताया। उन्होंने कहा कि सेंचुरी वाइल्ड लाइफ पुरस्कार भारतवर्ष में वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में सबसे पुराना ही नहीं बल्कि सबसे विश्वसनीय पुरस्कार है। यह सम्मान मीरजापुर के वन्यजीवों को एक नई पहचान देगी व विंध्य बचाओ अभियान को और मजबूती देगी। देबादित्यो सिन्हा को यह पुरस्कार मिलने से हम सभी उत्साहित है।
धरती सेवक को विश्व बचाने के लिए याद रखेगी पीढ़ी
सेंचुरी एशिया के संस्थापक और संपादक बिट्टू सहगल ने सभी सम्मानितों को धरती सेवक कहकर संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जहां सरहद पर हमारे वीर देश की रक्षा करते हैं, वहीं यह वीर देश के अंदर हमारे जलस्रोत, वन इत्यादि की रक्षा करते हैं जिससे हमारी पूरी अर्थव्यवस्था मजबूत रहती है। सही मायने में यह आज के युग के स्वतंत्रता सेनानी हैं जिन्हें आने वाली पीढ़ी विश्व को बचाने के लिए हमेशा याद रखेगी।
सेंचुरी एशिया के संस्थापक और संपादक बिट्टू सहगल ने सभी सम्मानितों को धरती सेवक कहकर संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जहां सरहद पर हमारे वीर देश की रक्षा करते हैं, वहीं यह वीर देश के अंदर हमारे जलस्रोत, वन इत्यादि की रक्षा करते हैं जिससे हमारी पूरी अर्थव्यवस्था मजबूत रहती है। सही मायने में यह आज के युग के स्वतंत्रता सेनानी हैं जिन्हें आने वाली पीढ़ी विश्व को बचाने के लिए हमेशा याद रखेगी।
समर्थकों व कार्यकर्ताओं को दिया पुरस्कार का श्रेय
देबादित्यो सिन्हा ने पुरस्कार का श्रेय विंध्य बचाओ के समर्थकों एवं कार्यकर्ताओं को दिया। साथ ही अपने माता दुर्बा रॉय को जीवों के प्रति प्रेम के लिए, अपने शिक्षक डॉ. अनुराधा भट्टाचार्य को पारिस्थिति की विज्ञान में दिलचस्पी लाने, कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. सावित्री सिंह को कक्षा के बाहर पर्यावरण के लिए कार्य करने के प्रोत्साहन बढ़ाने व अपनी पत्नी पारुल गुप्ता को उनके काम में सहयोग और सुदृढ़ बनाने के लिए धन्यवाद दिया।
देबादित्यो सिन्हा ने पुरस्कार का श्रेय विंध्य बचाओ के समर्थकों एवं कार्यकर्ताओं को दिया। साथ ही अपने माता दुर्बा रॉय को जीवों के प्रति प्रेम के लिए, अपने शिक्षक डॉ. अनुराधा भट्टाचार्य को पारिस्थिति की विज्ञान में दिलचस्पी लाने, कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. सावित्री सिंह को कक्षा के बाहर पर्यावरण के लिए कार्य करने के प्रोत्साहन बढ़ाने व अपनी पत्नी पारुल गुप्ता को उनके काम में सहयोग और सुदृढ़ बनाने के लिए धन्यवाद दिया।