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नोट: इस वेब-पेज पर साझा की गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान के लिए है। किसी भी जड़ी-बूटी का सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से ज़रूर सलाह लें। इसका उपयोग मेडिको-लीगल उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता है। मिर्ज़ापुर क्षेत्र में पाए जाने वाले पौधों की जानकारी इलाहाबाद विश्विद्यालय द्वारा किये गए इस शोध-पत्र के आधार पर तैयार किया गया है।  इस सूची का विकास कार्य प्रगति पर है। भविष्य में इस सूची में अधिक पौधों के पारंपरिक उपयोग को जोड़ा जाएगा।
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साधारण नाम: नीम / निम्ब  (Neem Tree/Margosa Tree)

वैज्ञानिक नाम: Azadirachta indica
 
पारम्परिक उपयोग:
  • पूरे पौधे का उपयोग गठिया के इलाज में किया जाता है।
  • टाइफाइड बुखार में पत्ती और कृमि के संक्रमण में डंठल के काढ़ा का उपयोग होता है।
  • कपड़ों और चावल के भंडार को कीड़ों से बचाने के लिए पत्तों को रखा जाता है।
  • नीम की पत्तियों का उपयोग त्वचा रोगों जैसे एक्जिमा के इलाज के लिए भी किया जाता है।
  • नीम के सेवन से गर्भपात, बांझपन और निम्न रक्त शर्करा (low blood sugar) होने की संभावना भी हो सकता है।
  • इसका उपयोग उल्टी में, दिल के पास जलन, थकान, बुखार, प्यास, मुंह के बुरे स्वाद, खांसी, अल्सर और सूजन को ठीक करने के लिए किया जाता है।
  • बड़ी मात्रा में बीज का सेवन मनुष्य और जानवरों के लिए जहरीला होता  है।
  • इसके फल और बीज नीम के तेल के स्रोत हैं।
  • नीम के तेल का उपयोग स्वस्थ बालों के लिए किया जाता है।
  • नीम के तेल को एंटीसेप्टिक और एंटीफंगल और रोगाणुरोधी माना जाता है और इसका उपयोग त्वचा रोगों, कुष्ठ और अल्सर में किया जाता है।
  • देश के विभिन्न हिस्सों में खसरे और चेचक से पीड़ित व्यक्ति के घरों में चौखट पर पत्तियों के साथ इसकी शाखाएँ रखी जाती हैं।
  • इसकी टहनियों को दातुन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
  • इसकी पत्तियों को पानी में उबाला जाता है और उबले हुए पानी का उपयोग आँखों को धोने और त्वचा रोगों में स्नान करने के लिए किया जाता है।

स्रोत :
  • Anil Kumar Dhiman (2006), Ayurvedic drug plants, Daya Publishing House, Delhi
  • https://en.wikipedia.org/wiki/Azadirachta_indica
  • https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Neem_Tree_(Azadirachta_indica).jpg
  • https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Neem_Tree_(Azadirachta_indica)_1.jpg