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नोट: इस वेब-पेज पर साझा की गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान के लिए है। किसी भी जड़ी-बूटी का सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से ज़रूर सलाह लें। इसका उपयोग मेडिको-लीगल उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता है। मिर्ज़ापुर क्षेत्र में पाए जाने वाले पौधों की जानकारी इलाहाबाद विश्विद्यालय द्वारा किये गए इस शोध-पत्र के आधार पर तैयार किया गया है।  इस सूची का विकास कार्य प्रगति पर है। भविष्य में इस सूची में अधिक पौधों के पारंपरिक उपयोग को जोड़ा जाएगा।
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साधारण नाम: अमलतास (Indian Laburnum)

वैज्ञानिक नाम: Cassia fistula
 
पारम्परिक उपयोग:
  • इसके फल, तने के छाल, पत्ते और बीज का उपयोग किया जाता है।
  • इसके फलों का गूदा छाती के संक्रमण में उपयोग किया जाता है।
  • कब्ज और दिल के रोगों में फलों का गुदा चीनी के साथ लाभदायक होता है।
  • इसके पत्तों का पेस्ट दाद के घावों पर लगाया जाता है।
  • बीज का उपयोग पीलिया रोग किया जाता है और छाल के पेस्ट को अंधापन के इलाज में किया जाता है।
  • रक्त की शुद्धि के लिए पत्तों के रस का उपयोग किया जाता है।
  • इसके पके फल के लुगदी को नमक के साथ घरेलू उपचार के रूप में उपयोग किया जाता है।
  • इसकी जड़ों का रस बुखार को ठीक करने में सहायक है।
  • मधुमेह को ठीक करने के लिए इसके बीजों का एक चम्मच चूर्ण सुबह शाम लिया जाता है।
  • गाय के कीड़े को ख़त्म करने के लिए इसके फल का उपयोग किया जाता है।
स्रोत :
  • Anil Kumar Dhiman (2006), Ayurvedic drug plants, Daya Publishing House, Delhi
  • By Suniltg at en.wikipedia, CC BY-SA 3.0, https://commons.wikimedia.org/w/index.php? curid=5947128
  • https://en.wikipedia.org/wiki/Cassia_fistula#/media/File:Cassia_fistula-flower-detail.jpg
  • By HFret - My camera, I clicked it., CC BY-SA 3.0, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=7899378
  • By J.M.Garg - Own work, CC BY-SA 3.0, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=4307133
  • By Didier Descouens - Own work, CC BY-SA 3.0, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=12788464
पारम्परिक उपयोग:
इसके फल, तने के छाल, पत्ते और बीज का उपयोग किया जाता है।
इसके फलों का गूदा छाती के संक्रमण में उपयोग किया जाता है।
कब्ज और दिल के रोगों में फलों का गुदा चीनी के साथ लाभदायक होता है।
इसके पत्तों का पेस्ट दाद के घावों पर लगाया जाता है।
बीज का उपयोग पीलिया रोग किया जाता है और छाल के पेस्ट को अंधापन के इलाज में किया जाता है।
रक्त की शुद्धि के लिए पत्तों के रस का उपयोग किया जाता है।
इसके पके फल के लुगदी को नमक के साथ घरेलू उपचार के रूप में उपयोग किया जाता है।
इसकी जड़ों का रस बुखार को ठीक करने में सहायक है।
मधुमेह को ठीक करने के लिए इसके बीजों का एक चम्मच चूर्ण सुबह शाम लिया जाता है।
गाय के कीड़े को ख़त्म करने के लिए इसके फल का उपयोग किया जाता है।