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साधारण नाम: बहेडा / बहुवीर्य / बिभीतक (Baheda / Belleric Myrobalan/Beach almond)
वैज्ञानिक नाम: Terminalia bellirica
पारम्परिक उपयोग:
- इसके फल, छाल और गोंद का औषधीय रूप से उपयोग किया जाता है।
- इसके फलों का उपयोग बवासीर, अपच, कुष्ठ रोग, पित्त दोष, सिरदर्द, स्वरभंग और नेत्र रोगों में किया जाता है।
- इसके फलों से प्राप्त तेल का उपयोग बालों और गठिया के सूजन के लिए किया जाता है।
- शहद के साथ मिश्रित फल के गूदे का उपयोग नेत्ररोग में किया जाता है।
- इसके फल के गूदे को अत्यधिक खाने से नशा हो सकता है।
- इसकी गुठली का उपयोग मादक पदार्थों के रूप में किया जाता है।
- इस वृक्ष के गोंद को पेट साफ़ (दस्त) करने के लिए उपयोग किया जाता है।
- इसके फलों का उपयोग खांसी, स्वर बैठना, गले में खराश और अपच के लिए किया जाता है।
- बच्चों को खांसी और जुकाम में इसके फल का छिलका के साथ थोड़ा सा गुदा चबाने के लिए दिया जाता है।
- इसका फल हर्रा/हरड़ और आंवला के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर त्रिफला बनाया जाता है, जिसका उपयोग कब्ज में रोज किया जाता है।
स्रोत :
- Anil Kumar Dhiman (2006), Ayurvedic drug plants, Daya Publishing House, Delhi
- https://indiabiodiversity.org/species/show/19316
- https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Terminalia_bellirica_12.JPG
- https://flickr.com/photos/dinesh_valke/48918803161/in/photostream/
- https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Terminalia_bellirica_04344.jpg
- https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Terminalia_bellirica_(Bastard_myrobalan)_leaves_in_RDA,_Bogra_04.jpg
इसके फल, छाल और गोंद का औषधीय रूप से उपयोग किया जाता है।
इसके फलों का उपयोग बवासीर, अपच, कुष्ठ रोग, पित्त दोष, सिरदर्द, स्वरभंग और नेत्र रोगों में किया जाता है।
इसके फलों से प्राप्त तेल का उपयोग बालों और गठिया के सूजन के लिए किया जाता है।
शहद के साथ मिश्रित फल के गूदे का उपयोग नेत्ररोग में किया जाता है।
इसके फल के गूदे को अत्यधिक खाने से नशा हो सकता है।
इसकी गुठली का उपयोग मादक पदार्थों के रूप में किया जाता है।
इस वृक्ष के गोंद को पेट साफ़ (दस्त) करने के लिए उपयोग किया जाता है।
इसके फलों का उपयोग खांसी, स्वर बैठना, गले में खराश और अपच के लिए किया जाता है।
बच्चों को खांसी और जुकाम में इसके फल का छिलका के साथ थोड़ा सा गुदा चबाने के लिए दिया जाता है।
इसका फल हर्रा/हरड़ और आंवला के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर त्रिफला बनाया जाता है, जिसका उपयोग कब्ज में रोज किया जाता है।
इसके फलों का उपयोग बवासीर, अपच, कुष्ठ रोग, पित्त दोष, सिरदर्द, स्वरभंग और नेत्र रोगों में किया जाता है।
इसके फलों से प्राप्त तेल का उपयोग बालों और गठिया के सूजन के लिए किया जाता है।
शहद के साथ मिश्रित फल के गूदे का उपयोग नेत्ररोग में किया जाता है।
इसके फल के गूदे को अत्यधिक खाने से नशा हो सकता है।
इसकी गुठली का उपयोग मादक पदार्थों के रूप में किया जाता है।
इस वृक्ष के गोंद को पेट साफ़ (दस्त) करने के लिए उपयोग किया जाता है।
इसके फलों का उपयोग खांसी, स्वर बैठना, गले में खराश और अपच के लिए किया जाता है।
बच्चों को खांसी और जुकाम में इसके फल का छिलका के साथ थोड़ा सा गुदा चबाने के लिए दिया जाता है।
इसका फल हर्रा/हरड़ और आंवला के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर त्रिफला बनाया जाता है, जिसका उपयोग कब्ज में रोज किया जाता है।