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साधारण नाम: गुरिच / अमृता/ गिलोय/ गुलबेल/ गुरूच (Bile killer/heart-leaved moonseed)
वैज्ञानिक नाम: Tinospora cordifolia
पारम्परिक उपयोग:
- गिलोय के तने, पत्तियों, जड़ों और फलों का औषधीय रूप से उपयोग किया जाता है।
- पौधे के विभिन्न भागों का उपयोग सामान्य दुर्बलता, अपच, बुखार और मूत्र संबंधी रोगों में किया जाता है।
- इसके तने का रस बुखार में तथा शहद में मिलाकर पीलिया में दिया जाता है।
- तने के काढ़े का उपयोग आमवाती बुखार तथा अधिक पित्त स्राव के कारण उल्टी होने मे किया जाता है।
- इस काढ़े को पिप्पली (पीपर) के फल और शहद के साथ मिलाकर खांसी से जुड़े बुखार में उपयोग किया जाता है।
- पिप्पली (पीपर) के तने और शहद के साथ मिश्रित इस काढ़े का उपयोग पेट फूलने के कारण होने वाली दिल की धड़कन को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
- गिलोय के सूखे तने से तैयार 'गिलोए का सत्' एक प्रकार का माड़ी (स्टार्च) को टॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
- इसकी जड़ों का उपयोग आंत के अवरोध और कुष्ठ रोग में किया जाता है।
- इसके गूदे वाले फलों को टॉनिक माना जाता है और इसका उपयोग पीलिया और गठिया में किया जाता है
- पौधे को काटकर पानी में डाल कर बनाया गया सरबत ब्राह्मणों द्वारा कुछ धार्मिक समारोहों में पिया जाता है।
- बवासीर के मामलों में, मलाशय के सूजे हुए भाग को पहले नीम की पत्ती के रस से धोया जाता है और फिर गिलोय की छाल के पेस्ट से लेप दिया जाता है।
- इसके तने के टुकड़ों को गठिया में कच्चा खाया जाता है।
- बुखार के इलाज के लिए इसके पत्तों का रस तीन दिन तक दिन में तीन बार लिया जाता है।
- मानव मूत्र के साथ मिश्रित इसके तने के रस (दोनों 50 मिलीलीटर) का उपयोग सांप के काटने में किया जाता है।
- भारत के कुछ हिस्सों में पीलिया के इलाज के लिए तने के छोटे टुकड़ों से बना 'कमलनी-माला' पहना जाता है।
स्रोत :
- Anil Kumar Dhiman (2006), Ayurvedic drug plants, Daya Publishing House, Delhi
- https://en.wikipedia.org/wiki/Tinospora_cordifolia#/media/File:Tinospora_cordifolia.jpg
- https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Tinospora_cordifolia_fruits_02.JPG
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