Vindhyan Ecology and Natural History Foundation- Animated Header

Caracal Public Domain Image

यूँ तो बिल्लियाँ बहुत देखी होंगी आपने, पर आज हम आपको मिलवाते है मध्य भारत में पाए जाने वाली एक ख़ास बिल्ली की प्रजाति से जिसे अंग्रेज़ी में ‘कैरकल’ (Caracal caracal) के नाम से जाना जाता है। स्थानीय भाषा में ‘शीयागोश’ के नाम से भी जाना जाता है । लम्बे टांग और गुच्छेदार कान के लिए प्रसिद्द यह बिल्ली एक समय भारत में बहुतायत में मिलते थे और राजा महाराजाओं द्वारा इसे चीता के साथ जंगली जानवरों के शिकार के लिए इस्तेमाल किया जाता था।

अफ़्रीकी और अरब देशो में इस बिल्ली की जनसंख्या ठीक ठाक रहने की वजह से प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) ने इनको कम चिंतित (Least Concern) वर्ग में रखा है, परन्तु भारत में यह विलुप्त प्राय माना जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार भारतवर्ष के जगलों में केवल 200  कैरकल ही बचे है ।  उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती एवं कांटा और झाड़ी वन कैरकल का प्राकृतिक पर्यावास है । पिछले कुछ दशकों में इन वनों को काफी नुक्सान पहुंचा है जिसकी वजह से भारतवर्ष में इनकी संख्या बहुत ही कम है । स्वभाव से बेहद शर्मीले एवं निशाचर होने की वजह से इस प्रजाति पर बहुत कम अनुसंधान हो पाया है ।

 

caracal distribution map courtesy iucn

IUCN के अनुसार दुनिया में कैरकल का वितरण

शोधकर्ताओं के अनुसार गुजरात के कच्छ क्षेत्र में इनकी संख्या 10-15 बताई गयी है और राजस्थान में इनकी संख्या 50 के आसपास अनुमानित किया गया है। इसके अलावा महाराष्ट्र के मेलघाट वन्यजीव अभ्यारण्य एवं मध्य प्रदेश के बगदरा वन्यजीव अभ्यारण्य में भी कैरकल की उपस्थिति दर्ज करी गयी है ।

जनवरी 2017 में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में 5 कैरकल को वाहन में ले जा रहे तस्करों को पुलिस ने पकड़ा था, जिसके बाद इस क्षेत्र में कैरकल की उपस्थिति होने की जोर शोर से बात चली थी। विन्ध्य बचाओ के कार्यकर्ताओं ने बचाए गए बिल्लिओं के कैरकल होने की पहचान करने में अहम् भूमिका निभायी थी ।  उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर, चंदोली एवं सोनभद्र के विन्ध्य क्षेत्र के वनों में कैरकल की मौजूदगी इतिहास में भी दर्ज है लेकिन अब तक इन पर कोई शोध नहीं होने के कारण हाल के कुछ सालों में इनकी उपस्थिति की पुष्टी नहीं हो पायी है। भारत वर्ष में कैरकल के वितरण एवं बहुतायत पर अधिक शोध करने की ज़रुरत है । 

 

कैरकल अपनी ऊंची छलांग के लिए ख़ास रूप से जाना जाता है-देखें यह विडिओ 

 caracal livemint

 

कैरकल को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 के रूप में संरक्षित किया गया है जो कि बाघ, तेंदुआ और हाथी की सुरक्षा स्थिति के बराबर है।कैरकल के बारे में अधिक जानने के लिए पढ़े:

http://www.iucnredlist.org/details/3847/0


Inventory of Traditional/Medicinal Plants in Mirzapur